पूर्वजों के साथ जुड़ने का राज: पितृ पक्ष के महत्व की खोज: 29 सितंबर से शुरू होंगे श्राद्ध |
पितृ पक्ष: पूर्वजों का सम्मान और श्रांति का माध्यम
पंडित राजेंद्र शास्त्री
ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की
पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत होती है, जो आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है। हिंदू मान्यताओं में
पितृ पक्ष को विशेष महत्व है, जिसमें पितरों और
पूर्वजों की शांति और तृप्ति के लिए श्राद्ध और पिंडदान करने का महत्वपूर्ण स्थान
है। पंडित राजेंद्र शास्त्री ने इसका महत्व बताते हुए कहा कि इस प्राकृतिक धार्मिक
प्रक्रिया के माध्यम से हम अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं और उनकी आत्मा को
शांति प्रदान करते हैं।
पितृ पक्ष के दौरान,
तर्पण और श्राद्ध का आयोजन किया जाता है,
जिससे माना जाता है कि मृत्यु लोक से पितृ धरती
लोक पर आकर अपने परिवार को देखते हैं। इस अवसर पर, पितरों को आत्मा की शांति प्रदान करने और उनके आत्मा को
शांति प्राप्त करने का अवसर मिलता है। विशेष तिथियों पर श्राद्ध करने का महत्व
होता है, और पितरों के लिए श्राद्ध
का आयोजन करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों की शांति होती है।
पितृ पक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां:
29 सितंबर: पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर: प्रतिपदा और
द्वितीय श्राद्ध
1 अक्तूबर: तृतीया श्राद्ध
2 अक्तूबर: चतुर्थी
श्राद्ध
3 अक्तूबर: पंचमी श्राद्ध
4 अक्तूबर: षष्ठी श्राद्ध
5 अक्तूबर: सप्तमी श्राद्ध
6 अक्तूबर: अष्टमी श्राद्ध
7 अक्तूबर: नवमी श्राद्ध
8 अक्तूबर: दशमी श्राद्ध
9 अक्तूबर: एकादशी श्राद्ध
11 अक्तूबर: द्वादशी
श्राद्ध
12 अक्तूबर: त्रयोदशी
श्राद्ध
13 अक्तूबर: चतुर्दशी
14 अक्तूबर: सर्व पितृ
आमवस्या श्राद्ध
इन तिथियों पर पितृ पक्ष
के त्योहार का आयोजन किया जाता है, जिसमें पूर्वजों के
सम्मान में श्राद्ध और दान करने का परंपरागत महत्व होता है। यह एक मानवीय और आध्य
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